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शुक्रवार, 21 सितंबर 2012 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

.फुर्सत में कभी अपने दिल को......

 फुर्सत में कभी अपने  दिल को ,समझाया कीजिये  ,
न खेले किसी के दिल से , इसे नसीहत  तो दीजिये । 

आदत में   है शुमार इसकी, या इसका शौक है ,
कभी-2 पड़ता है महंगा सौदा ,इसे समझाया तो  कीजिये । 

खिलौने की तरह तोड़  दिल ,क्यूँ इतराता है अपने आप पर ,
टूटे दिल जुड़ते हैं बमुश्किल ,ये इससे फरमाया तो कीजिये ।

उजड़ने को  उजड़ जाते हैं ,आबदे -चमन भी इसकी बेवफाई से  ,
इससे कहो  उजड़े चमन में किसी का आशियाँ भी बसाया तो कीजिये    । 

बिलखते  दिलों को देख क्या मिलता है  दिले-सकूं इसको ,
प्रेम -रस की कभी  ठंडी फुहार भी  बरसाया  तो कीजिये  । 

क्यूँ छुड़ा कर हाथ भागता है, किसीसे दूर ये अब ,
'कमलेश 'जो  हैं उलझने दी  इसने, उनको सुलझाया तो कीजिये..
सोमवार, 20 अगस्त 2012 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

हंसी बेशकीमती है,,,,,खुल कर हंसो ..!!!


ना हंसी की कोई कीमत दे पाया, ना रोने का कोई मूल्य उतारेगा ,
बस अगर कोई दे पाया हंसी , उसी हंसी से उसको संवारेगा ।

हंसने को कोई भी हंस दे ,पर उसमे दिल की गहराई हो ,
हंसने की वजह हो जायज , जो दिल से बाहर आयी हो ।

हंसना ऐसी प्रकिर्या है कुदरत से ,सबको मिलती है ,
कोई अंदर दफन रखता है ,चेहरे पर किसी के खिलती है

खुलकर हंसना जिन्दगी में ,रब की एक नियामत है,
पर किसी का किसी पर हंसना ,उसके लिये कयामत है।

'कमलेश' ख़ुशी मनाएं खुलकर, जोर=जोर से हंस कर ,
दो सबको हंसी - ख़ुशी उनके, मन-मानस में बस कर ॥