"छोड़ो आलस , जोड़ो साहस, कर लो सपने पूरे ;
करलो हठ, हो प्रकट कोई, रहना जाएँ अधूरे ;
तुम मोड़ दो, अपनी किस्मत की , नाव को;
त्याग दो जिन्दगी से, मनहूसियत के भाव को ;
करो अच्छे कर्म, इस जीवन में;
यही तुम्हारी थाती है ;
कर्म अनुरूप करेंगे याद तुम्हें ;
दुनिया तो आती जाती है;
सपने तो सपने होतें हैं , कहती दुनिया सारी
;
पर असली दुनिया से , लगे सपनों की दुनिया प्यारी ;
सपनो में भी, दुःख कलेश पड़ जातें हैं ;
पर जब भी खुली आँख ,एकदम उड़ जाते हैं ;
दिल फूटे जब , सपना टूटे ;
बिखरे दर्द चहूँ रे ;
ये जगबीती की बात नही , " कमलेश " बेदर्द कहूं रे ।।
करलो हठ, हो प्रकट कोई, रहना जाएँ अधूरे ;
तुम मोड़ दो, अपनी किस्मत की , नाव को;
त्याग दो जिन्दगी से, मनहूसियत के भाव को ;
करो अच्छे कर्म, इस जीवन में;
यही तुम्हारी थाती है ;
कर्म अनुरूप करेंगे याद तुम्हें ;
दुनिया तो आती जाती है;
सपने तो सपने होतें हैं , कहती दुनिया सारी
;
पर असली दुनिया से , लगे सपनों की दुनिया प्यारी ;
सपनो में भी, दुःख कलेश पड़ जातें हैं ;
पर जब भी खुली आँख ,एकदम उड़ जाते हैं ;
दिल फूटे जब , सपना टूटे ;
बिखरे दर्द चहूँ रे ;
ये जगबीती की बात नही , " कमलेश " बेदर्द कहूं रे ।।
2 comments:
सपनो में भी, दुःख कलेश पड़ जातें हैं ;
पर जब भी खुली आँख ,एकदम उड़ जाते हैं
dil ko nayi umango se bhar denewali,asman ko haasil karne ki chah mann mein jaganewali sunder kavita.
बहुत उम्दा!!
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