फुर्सत में कभी अपने दिल को ,समझाया कीजिये ,
न खेले किसी के दिल से , इसे नसीहत तो दीजिये ।
आदत में है शुमार इसकी, या इसका शौक है ,
कभी-2 पड़ता है महंगा सौदा ,इसे समझाया तो कीजिये ।
खिलौने की तरह तोड़ दिल ,क्यूँ इतराता है अपने आप पर ,
टूटे दिल जुड़ते हैं बमुश्किल ,ये इससे फरमाया तो कीजिये ।
उजड़ने को उजड़ जाते हैं ,आबदे -चमन भी इसकी बेवफाई से ,
इससे कहो उजड़े चमन में किसी का आशियाँ भी बसाया तो कीजिये ।
बिलखते दिलों को देख क्या मिलता है दिले-सकूं इसको ,
प्रेम -रस की कभी ठंडी फुहार भी बरसाया तो कीजिये ।
क्यूँ छुड़ा कर हाथ भागता है, किसीसे दूर ये अब ,
'कमलेश 'जो हैं उलझने दी इसने, उनको सुलझाया तो कीजिये..
न खेले किसी के दिल से , इसे नसीहत तो दीजिये ।
आदत में है शुमार इसकी, या इसका शौक है ,
कभी-2 पड़ता है महंगा सौदा ,इसे समझाया तो कीजिये ।
खिलौने की तरह तोड़ दिल ,क्यूँ इतराता है अपने आप पर ,
टूटे दिल जुड़ते हैं बमुश्किल ,ये इससे फरमाया तो कीजिये ।
उजड़ने को उजड़ जाते हैं ,आबदे -चमन भी इसकी बेवफाई से ,
इससे कहो उजड़े चमन में किसी का आशियाँ भी बसाया तो कीजिये ।
बिलखते दिलों को देख क्या मिलता है दिले-सकूं इसको ,
प्रेम -रस की कभी ठंडी फुहार भी बरसाया तो कीजिये ।
क्यूँ छुड़ा कर हाथ भागता है, किसीसे दूर ये अब ,
'कमलेश 'जो हैं उलझने दी इसने, उनको सुलझाया तो कीजिये..
1 comments:
bahut achche.....
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