उल्फत ...कमलेश .. लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
उल्फत ...कमलेश .. लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शुक्रवार, 15 मार्च 2013 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

क्यों ? फिजां में सरगोशियों का, बाज़ार गर्म है ...!!!

क्यों ? फिजां में सरगोशियों का,  बाज़ार गर्म है ,
कुछ नुमाया हुआ है यहाँ , या दिल का भ्रम है।

हर गली के  हर  मोड़ पर ,  होने लगे  क्यों  चर्चे तेरे ,
है हकीकत !इसमें कुछ या ,ज़माना हुआ बे-शर्म  है। 

कौन लगाएगा पाबंदियां ,इनकी तल्ख जुबानो पर ,
कोई अदावत नहीं  ,फिर ज़माना क्यों हुआ बे-रहम है। 

हुआ क्यों? बदनाम ये इश्क ,जिंदगी के हर चौराहे पर ,
इश्क  बे-पर्दा हुआ  या ,जमाने का ''आशिकों ''पर करम है।

''कमलेश'' खुल के इज़हार करो ,उससे अपने दिल की बात ,
ख़ुदा की  नियामत को सिजदा , नही होता कोई जुरम है।।


मंगलवार, 8 जून 2010 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

आज तक ....!!! नही मिली ..


आज तक वो नही मिली ,जिसकी दरकार थी ,
झूठी निकली मेरी तमन्ना ,पीड़ मिली हार बार थी

तिनका -तिनका जोड़ परिंदों ने, घर अपना बना लिया ,
ना मिला कोई मेरे घर को,वैसे इनकी भरमार थी

जब तक उसने मुड कर देखा ,तब तक हम दूर थे ,
मुड कर उन तक जा ना सके ,पैर बहुत मजबूर थे

जिसको लेकर वो उलझे थे ,उनकी ग़लतफ़हमी थी ,
जिसे वो जीत समझे थे , वास्तव में उनकी हार थी

''कमलेश''इन उल्फतों को क्या नाम देंगे आप सब ,
जिसे आप समझ बैठे ''हाँ ''वह उनकी इंकार थी !!