शुक्रवार, 15 मार्च 2013 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

क्यों ? फिजां में सरगोशियों का, बाज़ार गर्म है ...!!!

क्यों ? फिजां में सरगोशियों का,  बाज़ार गर्म है ,
कुछ नुमाया हुआ है यहाँ , या दिल का भ्रम है।

हर गली के  हर  मोड़ पर ,  होने लगे  क्यों  चर्चे तेरे ,
है हकीकत !इसमें कुछ या ,ज़माना हुआ बे-शर्म  है। 

कौन लगाएगा पाबंदियां ,इनकी तल्ख जुबानो पर ,
कोई अदावत नहीं  ,फिर ज़माना क्यों हुआ बे-रहम है। 

हुआ क्यों? बदनाम ये इश्क ,जिंदगी के हर चौराहे पर ,
इश्क  बे-पर्दा हुआ  या ,जमाने का ''आशिकों ''पर करम है।

''कमलेश'' खुल के इज़हार करो ,उससे अपने दिल की बात ,
ख़ुदा की  नियामत को सिजदा , नही होता कोई जुरम है।।


1 comments:

रविकर ने कहा…

बढ़िया है आदरणीय-
आभार आपका-