यूँ तो तेरा ही नाम , बसा है सबके दिल में ,
होती है तेरी ही चर्चा, दिल जलों की महफ़िल मे।
तेरी अदा के मारे ,जीते हैं न मरते हैं ,
कर गये कितने कूच , 'ले'हसरतों को दिल में।
अब न रही कोई ख्वाहिश , न बाकि कोई तमन्ना ,
बस तू ही तू है ,उनकी नजर की मंजिल में।
कोशिस सभी की है, बस जाएँ आँखों में तेरी ,
पर होती नही कोई हलचल, तेरे इस संग-दिल में।
अब''कमलेश'' क्यों तराशूं , उनकी यादों के बुत को ,
जब की होती है उन्ही की चर्चा , हर महफिल में।। यूँ तो तेरा .............[० ]
3 comments:
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
साझा करने के लिए धन्यवाद!
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
वाह बहुत खूब
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