मर्ज़ी जिस दौर से गुजरे उम्र,
फेंक पत्थर
हलचल मचा दीजिए!
हर दौर ज़िंदगी का
मज़ेदार है यारों,
हर पल ज़िंदगी का
मज़ा लीजिए।
जो बच गए हों गिले,
शिकवे ज़माने से,
मुस्करा कर उनको
दिल से विदा कीजिए।
मेरे गुलशन में हमेशा
गुलाब खिलते नहीं,
गेंदा चमेली की खुशबू
का भी मज़ा लीजिए।
ज़िंदगी की हलचल
और गुणा भाग को,
कमलेश"बेफिक्री के
आसमां में सजा दीजिए।।
कमलेश वर्मा 🌹कमलेश।
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