गुरुवार, 16 अगस्त 2012 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

पहचानों उन गद्दारों को ......!!! आज़ाद मैदान की घटना पर क्षोभ, .



पहचानो उन गद्दारों को ,जिन्हें नही वतन से प्यार है ,
जिसे नही मुहब्बत इस मुल्क से ,वह देश का गद्दार है

होता है कोई जुर्म कहीं पर .खून-खराबा ये क्यों करते हैं ,
चले जाएँ ये उसी मुल्क को ,फिर ये यहाँ क्यों रहते हैं

जिस तरह हुआ हिंसा का तांडव ,खुल नंगे नाचे उन्मादी ,
अपने इन्ही कुकर्मों को ,कहते ये हैं कर्म 'जिहादी'॥

लानत है ऐसे ज़ज्बातों को.जो देश को ही खा जाएँ ,
या खुदा ,रब दे मति इनको ,सद्बुद्धि देश प्रति जाये ।

''कमलेश'' क्या होगा इनके चलते ,बापू के सपनों का ,
दूसरों के जख्म भर जाते हैं ,वो क्या भरे जो दिया हो अपनों का ॥

3 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (18-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

इच्छा शक्ति की कमी है
ये सब यही दिखाती है
नेता जी को हमारे
थोड़ी बुद्धि नहीं आती है !

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सफेद लबादा पहनके तनमें दलाली करते देखे लोग
अब तो रोज झूठ के हक़में शोर मचाते देखे लोग
सच को सच कह देने वाले पता नही वो कहाँ गए
कुछ सिक्कों के बदले पूरा देश बेचते देखे लोग,,,,,,,