शुक्रवार, 25 जून 2010 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

मेरी जिन्दगी में इतने...!!!


मेरी जिन्दगी में इतने झमेले ना होते
गर तुम मेरे जज्बातों से खेले ना होते ,


बहुत पर खुशनुमा थी मेरी यह जिन्दगी
गर दिखाए हसीं- ख्वाबों के मेले होते ,


रफ्ता-रफ्ता चल रहा था कारवां जिन्दगी का
दुनिया की इस महफिल में हम अकेले होते ,


''कमलेश'' ना लुटता दिले- सकूं मेरा कभी
गर मेरी नजरों के सामने ,तेरे हाथ पीले ना होते
,


हमेशा ही कहर बरपा है इश्क पर जमाने का
राहें फूलों की होती कांटे भी नुकीले होते

1 comments:

E-Guru _Rajeev_Nandan_Dwivedi ने कहा…

हाथ पीले हो गये !!
सच्ची इससे बड़ा दुःख क्या होगा !!
हम तो उसकी खुशी के लिये उसकी शादी में भी नाचे, पर उसके बिन आज भी हम अकेले हैं.