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शुक्रवार, 25 जून 2010 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

मेरी जिन्दगी में इतने...!!!


मेरी जिन्दगी में इतने झमेले ना होते
गर तुम मेरे जज्बातों से खेले ना होते ,


बहुत पर खुशनुमा थी मेरी यह जिन्दगी
गर दिखाए हसीं- ख्वाबों के मेले होते ,


रफ्ता-रफ्ता चल रहा था कारवां जिन्दगी का
दुनिया की इस महफिल में हम अकेले होते ,


''कमलेश'' ना लुटता दिले- सकूं मेरा कभी
गर मेरी नजरों के सामने ,तेरे हाथ पीले ना होते
,


हमेशा ही कहर बरपा है इश्क पर जमाने का
राहें फूलों की होती कांटे भी नुकीले होते
शुक्रवार, 4 सितंबर 2009 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

चलो उठ जाओ !!!

"छोड़ो आलस , जोड़ो साहस, कर लो सपने पूरे ;

करलो हठ, हो प्रकट कोई, रहना जाएँ अधूरे ;

तुम मोड़ दो, अपनी किस्मत की , नाव को;

त्याग दो जिन्दगी से, मनहूसियत के भाव को ;

करो अच्छे कर्म, इस जीवन में;

यही तुम्हारी थाती है ;

कर्म अनुरूप करेंगे याद तुम्हें ;

दुनिया तो आती जाती है;

सपने तो सपने होतें हैं , कहती दुनिया सारी
;
पर असली दुनिया से , लगे सपनों की दुनिया प्यारी ;

सपनो में भी, दुःख कलेश पड़ जातें हैं ;

पर जब भी खुली आँख ,एकदम उड़ जाते हैं ;

दिल फूटे जब , सपना टूटे ;

बिखरे दर्द चहूँ रे ;

ये जगबीती की बात नही , " कमलेश " बेदर्द कहूं रे ।।