पिता बिना नही मिलता जीवन, न मिलती पहचान ,
पिर्तु बिना ना मिलती जग में ,आन-बान और शान ॥
पिता हमारे- तुम्हारे दोष- गुणों का परमाण होता है ,
तुम सगुणी तो पिता है पारस ,नही वो पाषाण होता है ॥
अपने अक्स को खुद में नही देखता है वो ,
अपने बच्चे में अपने, आप को दूढ़ता है वो ॥
खुद सह कर जीवन के कष्ट तमाम सदा ,
बच्चों को भगवन रखना खुशहाल सदा ॥
''कमलेश'' वो करता रहता है यही सदा दुआ ,
तुम रहो सदा खुशहाल ,''मै जग में हुआ ना हुआ ''
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achhi rachna
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