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शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

हम कब के मर गये थे ...!!!


हम कब के मरगये थे तेरे प्यार मे ,
अदायगी
रसमे -जनाज़ा तो है ज़माने की,

पता चल गया होता बहुत पहले,
पर
तूने कसम दी थी ना बताने की ,,

बन गयी थी जिंदगी एक बेजान बुत जब हमने ,
आहट
सुनी थी किसे बेगाने की,,

जिंदगी
हो गयी थी मौत पर भारी ,
जब
आया था वक़्त ,प्यार मे मिट जाने की,,

जिंदगी देख कर मरी फिर एक बार ,
जब तेरी बेताबी दिखी परायी बाहों मे सिमट जाने की ,,

'
कमलेश' मैने खुद ही मूंद ली आँखें , क्यूँ की ,
तुमने कर दी थी तैयारी मेरे मर जाने की,,
गुरुवार, 24 सितंबर 2009 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

ये ख्याले दिल ..!!!क्यूँ आया ना


ये ख्याले दिल
क्यूँ ? आया कभी ;


कोई इस दिल को
क्यूँ ? भाया कभी;


शिकवा रहेगा सदा
''दिल '' से 'ख्याल' को ;


क्यूँ ? न इस ने कहीं
दिल लगाया कभी ;


देर हो जाए कहीं
कर गुनाह ले तू यहीं,


करे शिकवा कोई दिल
क्यूँ ? तड़पाया ना कभी ;


''कमलेश'' ये बात है दिल की
लाख कोशिश की पर
जुबां पर लाया ना कभी॥ ;


ये ख्याले दिल क्यूँ आयाकभी .........