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गुरुवार, 6 सितंबर 2012 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

जल्लादों के शहर में अहसासों,......!!!

जल्लादों के शहर में अहसासों, का मोल क्या ? है ,
जहाँ मुफलिसी हो शर्मिंदा ,वहां सांसों का मोल क्या?है।

जिनके मनों में अँधेरा हो बेरुखी का, मुद्दतों से छाया ,
उधर चिरागे-मुहब्बत जलाने में, झोल क्या? है।

जब तक नहीं दिखती गुरबत ,उनको, दिल की आँखों से ,
फरियादों की मशालों को जलाने का, मोल क्या ?है।

उनके आंसूओ में जिनको दीखता, साफ-सफ़ेद पानी ,
आँखों में उनकी इन जज्बातों का, बताओ मोल क्या? है।

जहाँ शर्मिंदा होती है जिंदगी जिनकी, सरपरस्ती की छाँव में ,
भ्रष्टाचार के बाग में राजनितिक ,दरख्तों का मोल क्या?है।

''कमलेश''जहाँ छुपकर सूरज , निकलता हो अँधेरे से ?
उस महातिमिर को दूर करने में, 'जुगनुओं' का मोल क्या? है।।


गुरुवार, 16 जून 2011 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

वही हुआ विश्वास घात...??

वही हुआ विश्वासघात जिसका सबको अनदेसा था ,
था प्रारम्भ में मिल गया ,उनका कुटिल संदेशा था

आश्वासनों के दम पर ये वर्षों कितने खेल गए ,
आज़ादी ,जनता ,नैतिक मूल्य लगाने तेल गए

कोई[नेता] नही चाहेगा की जनता मुझे सवाल करे ,
क्यों? कसाई चाहेगा की ''बकरा'' उसे हलाल करे ,

एक दिन भीख मांगने से ,पांच वर्षों का ताज मिले ,
जिनके बस एक इशारे से ''राम लीला मैदान ''हिले ,

जब इतनी ताकत सत्ता की, हो जिनके हाथों में ,
क्या मुश्किल था निकालना वक्त बे-मतलब की बातों में ,

इनको याद रहा है अब बाबा राम देव का अनशन ,
उसी तर्ज़ पर ये शायद लिखा जा रहा है ''राज-प्रहसन'',

पता नहीं अब ''अन्ना''के अनशन का क्या हश्र होगा ,
कौरवों पर होगी विजय ''अन्ना - अभिमन्यु पर फख्र होगा ,

कमलेश' गर अपमानित कर पालें ,विजय की भ्रान्ति होगी ,
अन्ना' तुम बढे चलो अब इस देश में विकट क्रांति होगी