किस्मत में था न तेरा साथ, ये था नही पता ,
भुगत रहा दिल जिसने, प्यार की थी खता.......?
मेरा तडपता है दिल, लब भी सिले हुए हैं ,
खता -ए- दिल के ,ये सिले मिले हुए हैं ।
कोई हाले मंजर मेरा उसे देता क्यों नही बता .......?
जिस बिन इक दिन भी जीना मुहाल था ,
रातें थी काँटों भरी ओर दिन भी बेहाल था ।
अब उसकी तस्वीर को आँखों से कोई ले हटा ......?
जिन्दगी के राहे -गुजर में आये कई मुकाम भी ,
कहीं सय्याद मिले, मिले कहीं यहाँ गुलफाम भी ।
जिन्दगी पूछती फिरती है फिर भी उसी का पता .....?
जमाने की नजर में जब हम आये ही नही थे कभी ;
फिर क्यूँ साफ झलकता है पसीना , पेसानी पर अभी ।
''कमलेश ''के दर्दे- जां का है इस दुनिया को पता .....??
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चलो उठ जाओ !!!
"छोड़ो आलस , जोड़ो साहस, कर लो सपने पूरे ;
करलो हठ, हो प्रकट कोई, रहना जाएँ अधूरे ;
तुम मोड़ दो, अपनी किस्मत की , नाव को;
त्याग दो जिन्दगी से, मनहूसियत के भाव को ;
करो अच्छे कर्म, इस जीवन में;
यही तुम्हारी थाती है ;
कर्म अनुरूप करेंगे याद तुम्हें ;
दुनिया तो आती जाती है;
सपने तो सपने होतें हैं , कहती दुनिया सारी
;
पर असली दुनिया से , लगे सपनों की दुनिया प्यारी ;
सपनो में भी, दुःख कलेश पड़ जातें हैं ;
पर जब भी खुली आँख ,एकदम उड़ जाते हैं ;
दिल फूटे जब , सपना टूटे ;
बिखरे दर्द चहूँ रे ;
ये जगबीती की बात नही , " कमलेश " बेदर्द कहूं रे ।।
करलो हठ, हो प्रकट कोई, रहना जाएँ अधूरे ;
तुम मोड़ दो, अपनी किस्मत की , नाव को;
त्याग दो जिन्दगी से, मनहूसियत के भाव को ;
करो अच्छे कर्म, इस जीवन में;
यही तुम्हारी थाती है ;
कर्म अनुरूप करेंगे याद तुम्हें ;
दुनिया तो आती जाती है;
सपने तो सपने होतें हैं , कहती दुनिया सारी
;
पर असली दुनिया से , लगे सपनों की दुनिया प्यारी ;
सपनो में भी, दुःख कलेश पड़ जातें हैं ;
पर जब भी खुली आँख ,एकदम उड़ जाते हैं ;
दिल फूटे जब , सपना टूटे ;
बिखरे दर्द चहूँ रे ;
ये जगबीती की बात नही , " कमलेश " बेदर्द कहूं रे ।।
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