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बुधवार, 24 फ़रवरी 2010 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

किस्मत....???

किस्मत में था तेरा साथ, ये था नही पता ,
भुगत रहा दिल जिसने, प्यार की थी खता.......?

मेरा तडपता है दिल, लब भी सिले हुए हैं ,
खता -- दिल के ,ये सिले मिले हुए हैं
कोई हाले मंजर मेरा उसे देता क्यों नही बता .......?

जिस बिन इक दिन भी जीना मुहाल था ,
रातें थी काँटों भरी ओर दिन भी बेहाल था
अब उसकी तस्वीर को आँखों से कोई ले हटा ......?

जिन्दगी के राहे -गुजर में आये कई मुकाम भी ,
कहीं सय्याद मिले, मिले कहीं यहाँ गुलफाम भी
जिन्दगी पूछती फिरती है फिर भी उसी का पता .....?

जमाने की नजर में जब हम आये ही नही थे कभी ;
फिर क्यूँ साफ झलकता है पसीना , पेसानी पर अभी
''कमलेश ''के दर्दे- जां का है इस दुनिया को पता .....??


शुक्रवार, 4 सितंबर 2009 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

चलो उठ जाओ !!!

"छोड़ो आलस , जोड़ो साहस, कर लो सपने पूरे ;

करलो हठ, हो प्रकट कोई, रहना जाएँ अधूरे ;

तुम मोड़ दो, अपनी किस्मत की , नाव को;

त्याग दो जिन्दगी से, मनहूसियत के भाव को ;

करो अच्छे कर्म, इस जीवन में;

यही तुम्हारी थाती है ;

कर्म अनुरूप करेंगे याद तुम्हें ;

दुनिया तो आती जाती है;

सपने तो सपने होतें हैं , कहती दुनिया सारी
;
पर असली दुनिया से , लगे सपनों की दुनिया प्यारी ;

सपनो में भी, दुःख कलेश पड़ जातें हैं ;

पर जब भी खुली आँख ,एकदम उड़ जाते हैं ;

दिल फूटे जब , सपना टूटे ;

बिखरे दर्द चहूँ रे ;

ये जगबीती की बात नही , " कमलेश " बेदर्द कहूं रे ।।