वाह ? क्या जगह ढूंढी है ,
लेखनी के परवानो ने ।
लेखों से सजा दिया है
ब्लॉग -रस के दीवानों ने ।
कहीं चहकती सुंदर मनभावन हिन्दी ,
कहीं हिन्दी के आलिंगन
,में अलिफ़ ,बे की बिंदी ।
कहीं ठेठ देसी भाषा ,
कहीं अपनी विदेशी आशा ।
कहीं भोजपुरी ठुमके ,
कहीं कनाडा और नासा ।
सतरंगी दुनिया का सार मिलेगा ,
क्षेत्र ,प्रान्त देश नही ,
अपितु सारा संसार मिलेगा ।
कोईमन में हो प्रश्न ?
कोई हो जिगियाषा।
तृप्त हो कर जाएगा जितना भी हो प्यासा ।
एक से बढ़कर एक ''कमलेश'',
इस कारवां से जुड़े हैं ।
जो यहाँ समझे अपने को ''बाप ''
उनके बापों के बाप भी पड़े हैं ॥
4 comments:
क्षेत्र ,प्रान्त देश नही ,
अपितु सारा संसार मिलेगा ।
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स्वाद तो कभी बेस्वाद मिलेगा
कभी अम्ल तो कभी क्षार मिलेगा.
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बहुत खूब लिखा है आपने ब्लोगजगत की दुनिया पर
श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं
जो यहाँ समझे अपने को ''बाप ''
उनके बापों के बाप भी पड़े हैं ॥
ये बात आपने बिल्कुल सही कही!! ये बात सिर्फ ब्लागजगत ही नहीं बल्कि जीवन के हरेक क्षेत्र मे लागू होती है।।
पितामह कहिए
बाप न कहिए
पिताजी कहिए।
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