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रविवार, 29 जुलाई 2018 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

कैसे गले लगाओगे....💐

कैसे गले लगाओगे , इन आतंकवाद के सांपों को।
वीर जवानों का जो खून बहा, खुश करते हैं अपने बापों को।।

कब तक इनकी गद्दारी को ,देश हमारा झेलेगा,
दुश्मन इनके कंधो पर चढ़ ,खून की होली खेलेगा।।

मजाक बना डाला गद्दारों ने ,इतनी बड़ी आबादी का।
कत्लों गारत की साज़िश है ,ज़न्नत की बर्बादी का।।

नापाक मुल्क की साज़िश के ,ये गद्दार प्यादे हैं,
सबकी बात नहीं करते ,कुछ कम कुछ ज्यादे  हैं।।

कश्मीर को कोई तोड़ सके ,किसी के बस की बात नहीं,
पाक परस्तों की छोड़ो ,दुनिया में किसी की औक़ात नहीं।।

श्मशान बना कर ज़न्नत को, मिल जाएगी इन्हें आज़ादी।
आज़ादी तो मिलने से रही,इनकी  की होगी बर्बादी।।

विश्वास करो देश पर अपने,देश तुम्हारे साथ है,
प्रगति करो या रहो खड़े ये अब सब तुम्हारे हाथ है।।

बहुत दिनों तक ये प्रपंच, देश नहीं सह पायेगा।
कब तक हमारी घाटी में ,विदेशी ध्वज फहराएगा।

आतंकवाद के झंडे को गर कोई कहीं  लहराएगा।
जिसके हाथ में गर दिख गया झंडा ,सीधा ऊपर जाएगा।

जिनको अपने देश,ध्वज का ,आता करना सम्मान नहीं।
कमलेश' ऐसे गद्दारों की ,है जगह श्मशान सही।।

💐कमलेश वर्मा 'कमलेश "💐

गुरुवार, 8 सितंबर 2011 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

कब छटेंगे भय के बादल...!!!

कब छटेंगे भय के बादल, कब होगी दूर उदासी ,
कब हम सब कह पाएंगे 'हम हैं भारतवासी' ।

सब मिल बैठें ,मिल कर, कुछ तो ऐसा सोचो ,
भेद-भाव की मैल को , अपने दिलों से पोंछों ,

क्या करोगे इन हालातों में जब, भारत मां की छाती पिघलती है ,
दिल फट जाता है इस माँ का भी, जब लालों की चिताएं जलती हैं,

कब तक दुश्मन खेलेगा हमारी 'भारत मां '' की अश्मत से ,
कब तक बाधें रखोगे अपने को ,राजनीति की किस्मत से ,

तोड़ो बंधन छोडो क्रन्दन ,बन ज्वाला मुखी फूट पड़ो ,
सर्वनाश की बन ज्वाला ,दुश्मन पर तुम टूट पड़ो ,

रोज-रोज किश्तों में मरना नही ,कुछ तो अब करना होगा ,
हमको अब जीना होगा, उनको अवश्य अब मरना होगा ,

'कमलेश 'नही हट सकती है, सबके ज़िम्मेदारी कंधों से ,
भगवान बचा ले अब भी देश को, राजनीति के फंदों से