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बुधवार, 17 अप्रैल 2013 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

''नफरत है''...!!!

''नफरत है'' मुझसे जताना ,उनका इक बहाना था ,
छुड़ा कर मेरा पहलू,बेगाने आगोश में जाना था .


कल तक जिनको मेरे बगैर, जीना था ,मुश्किल.
नही ज़रुरत है ' उस गोली का मै ही निशाना था.

न बनाते ख्वाबों की मंजिलें, मुस्तकबिल के मुहाने पर ,.
क्यों करते यूँ ही जाया .,जो वक्त मेरा सुहाना था।

इम्तिहानों के दौर चले कितने ,तुझको पाने के वास्ते , 

वो थी तेरी चाहत ,या महज़ फ़साना था। .

'कमलेश ' की है दरिया दिली ,या उनकी बदनीयत ,
अब ही टूटना अच्छा ,जिसने इक दिन टूट जाना था..
शनिवार, 31 अक्टूबर 2009 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

.....तेरा ख्याल आया..!!

जब -जब इस दिल को ,

तेरा ख्याल आया


तब -तब ज़माने की आंखों में,

रंग लाल आया


कोशिस की थी,हमने ,

रुसवा हो इश्क मेरा


पर हजारों नजरों से,

''एक ही सवाल आया ''।


जो किया था मैंने ,

वो क्या गुनाह था ?


लेकर शमशीर हर कोई,

करने ''हलाल'' आया


''कमलेश'' क्या वजूद है ,

इन रस्मों -रिवाज का ,


प्यार करना' कुफ्र है,
,तभी तो ये भूचाल आया ,॥