इनमे कौन छुपा था चेहरा ,ये सवाल आया।
क्यूँ नही मुडती वो फिजायें, इस गुलिस्तां की ,
जब भी हुई दस्तक दिल में ,जिंदगी में गुलाल आया।
कभी हवा में हिलती दिखी , कोई साख मुझको ,
हलचल सी उठी दिल में ,खुशियों का भूचाल आया।
थी इस दिल आदत , फूल और भंवरे जैसी कभी ,
पर आज फरेबों को कर , वो वहीं हलाल आया।
कोशिशें बहुत की दिल से ,निकल जाएँ यादें तेरी ,.
जब कहीं ज़ुल्फ़ लहराई तो , तेरा ही ख्याल आया।
'कमलेश'हमेशा थिरकता है , निगाहों में चेहरा तेरा ,
तुम हो कर भी नहीं हो ,'दिल' को बहुत मलाल आया।।
कभी हवा में हिलती दिखी , कोई साख मुझको ,
हलचल सी उठी दिल में ,खुशियों का भूचाल आया।
थी इस दिल आदत , फूल और भंवरे जैसी कभी ,
पर आज फरेबों को कर , वो वहीं हलाल आया।
कोशिशें बहुत की दिल से ,निकल जाएँ यादें तेरी ,.
जब कहीं ज़ुल्फ़ लहराई तो , तेरा ही ख्याल आया।
'कमलेश'हमेशा थिरकता है , निगाहों में चेहरा तेरा ,
तुम हो कर भी नहीं हो ,'दिल' को बहुत मलाल आया।।
1 comments:
वाह...
बेहतरीन ग़ज़ल.....
अनु
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