देख कर नीड़ टूटता मेरा मन सिहर गया ,
वर्षोँ से सहेज़ा था जिसे पल में बिखर गया ।
यह सुंदर घोंसला सम्मिलित प्रयासों की तावीर थी ,
अच्छी परिश्रमी परिवार की सुंदर तस्वीर थी ।
पता नही चलते -चलते रास्ते ,खुद ही मुड़ गए ,
पंछी जिस डाल पर बैठे थे ,खुद ही उड़ गये ।
प्यार की नींव क्यों, इक दम दरक गयी ,
जो मजबूत थी इमारत फिर ,क्यूँ गिर गयी ।
कैसे -कैसे इम्तिहान आते हैं, जिन्दगी के दौर में ,
इक दम अँधेरा हो गया, जिन्दगी के भोर में ।
लोग बदलें जमाना बदले,खुद को बदल लीजिये ,
गुजारिस है ''कमलेश'' मुझको, बदलने की कोशिश मत कीजिये ॥
वर्षोँ से सहेज़ा था जिसे पल में बिखर गया ।
यह सुंदर घोंसला सम्मिलित प्रयासों की तावीर थी ,
अच्छी परिश्रमी परिवार की सुंदर तस्वीर थी ।
पता नही चलते -चलते रास्ते ,खुद ही मुड़ गए ,
पंछी जिस डाल पर बैठे थे ,खुद ही उड़ गये ।
प्यार की नींव क्यों, इक दम दरक गयी ,
जो मजबूत थी इमारत फिर ,क्यूँ गिर गयी ।
कैसे -कैसे इम्तिहान आते हैं, जिन्दगी के दौर में ,
इक दम अँधेरा हो गया, जिन्दगी के भोर में ।
लोग बदलें जमाना बदले,खुद को बदल लीजिये ,
गुजारिस है ''कमलेश'' मुझको, बदलने की कोशिश मत कीजिये ॥
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