कैसे करें यकीं कोई तेरे ....प्यार का ..!!!!
कैसे करें यकीं कोई ,तेरे प्यार का ,
था अजीब सा सलीका ,इजहारे-प्यार का ।
ना थी गर्मजोशी ना ,अपनेपन का रंग था ,
तेरे इस अदा से सारा ,जहाँ दंग था ।
क्या करूं मै तेरे इस सरोकार का ...........!
हमने बिछा दी पलकें ,तेरी राह में ,
बसा रखी है तेरे सूरत ,अपने ख्वाब-गाह में ,
मिलेगा सिला तुमको इंतजार का .........!
दुश्मन बना जमाना ,हमें मंजूर था ,
तेरी चाहत का चढ़ा ,आँखों में सरूर था ।
पर आया ना इशारा तेरे इकरार का .......!
मंजिल पर पहुंचना , सबका नसीब हो ,
जो दूर हो किसी का ,उसके करीब हो ,
न हो 'कमलेश 'नाज़ुक धागा तेरे ऐतबार का .......!
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1 comments:
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
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