क्रांति की मशाल ना ...धीमी पड़नी चाहिए.....!!!
क्रांति की मशाल ना धीमी पड़नी चाहिए ,
क्रांति की धूल हर ओर उड्नी चाहिए ,
हर तरफ हो चाहे काँटों की दीवारें मगर ,
उत्साह और उमंग की पतंग चढनी चाहिए ,
कितने भी आयें अवरोध हमारी राह में ,
हर कदम की रेखा ऊपर को बढनी चाहिए ,
आखिर में झुकेगा हिमालय भी इसी राह में ,
जन -तपिश से संसद भी पिघलनी चाहिए ,
जब कोई नही करता इस बात से बे-इत्फाकी ,
तो इन के ज़मीरों की नीवं जरूर हिलनी चाहिए ,
कोई 'खैरात' नही मांगता है यह देश किसी से ,
भ्रष्टाचार पर ''कानून (Jan-Lokpal )''की लगाम लगनी चाहिए ,
जिनको लगता है जिन्न कहीं ना निकल आये कहीं ,
'कमलेश' उनको इसकी पूरी तसल्ली मिलनी चाहिए ॥
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