किसी संवेदना को वेदना मत बनने दीजिये ,
नासूर बनने से पहले इसका उपचार कीजिये ।
कितना भी हो दर्द -ए-दिल बस मुस्कराइए ,
''कोई देना चाहे तकलीफ '' हंस के ले लीजिये ।
ठंडी हवाओं के झोकों में बिठा दूसरों को ,
आफतों की गर्म धारा में खुद खूब भीगिए।
वाह-वाह करते रहो जमाने में दूसरों की सदा ,
खुद अकेलेपन का हलाहल खुश हो के पीजिये ।
गर्म जोशी से मिलाओ सबसे हाथ खुलकर दोस्तों ,
फिर अपने हाथ की उँगलियों को फिरसे गिन लीजिये ।
'कमलेश'न करो कोई उम्मीद इस मतलबी दुनिया से ,
चाँद पर आशियाना बनाने का यत्न खुद ही कीजिये ॥
नासूर बनने से पहले इसका उपचार कीजिये ।
कितना भी हो दर्द -ए-दिल बस मुस्कराइए ,
''कोई देना चाहे तकलीफ '' हंस के ले लीजिये ।
ठंडी हवाओं के झोकों में बिठा दूसरों को ,
आफतों की गर्म धारा में खुद खूब भीगिए।
वाह-वाह करते रहो जमाने में दूसरों की सदा ,
खुद अकेलेपन का हलाहल खुश हो के पीजिये ।
गर्म जोशी से मिलाओ सबसे हाथ खुलकर दोस्तों ,
फिर अपने हाथ की उँगलियों को फिरसे गिन लीजिये ।
'कमलेश'न करो कोई उम्मीद इस मतलबी दुनिया से ,
चाँद पर आशियाना बनाने का यत्न खुद ही कीजिये ॥
3 comments:
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
वाह-वाह करते रहो जमाने में दूसरों की सदा ,
खुद अकेलेपन का हलाहल खुश हो के पीजिये ।
Khoob Kaha...Bahut Badhiya
उम्मीद करना ही दुःख का कारण होता है अक्सर...
ठीक सुझाया है आपने-
'कमलेश'न करो कोई उम्मीद इस मतलबी दुनिया से ,
चाँद पर आशियाना बनने का यत्न खुद ही कीजिये ॥
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