बेफिक्र हो के जनाब आप अभी ना सोइये ,
अभी जो जख्म हैं ताज़े ,उनको तो धोइये ,
ना समझो की गद्दार, सब खो गये हैं कहीं ,
सापों की मानिंद, बिलों में छुप गये हैं यहीं ,
ढूंढ-ढूंढ कर मारो, इन विष-भरे नागों को ,
तोड़ सके ना ये हमारे, एकता के धागों को ,
अब ना पनपने देंगे,हम गद्दारों की टोली को ,
रक्त-रंजित न होने दें हम, ईद और होली को ,
'कमलेश 'हर मन में देश -प्रेम का बीज बोना होगा ,
सब होंगे सजग फिर बेफिक्र, हो के सोना होगा ॥पर ..
बेफिक्र हो के जनाब आप अभी ना सोइये ,
अभी जो जख्म हैं ताज़े उनको तो धोइये ...,॥
अभी जो जख्म हैं ताज़े ,उनको तो धोइये ,
ना समझो की गद्दार, सब खो गये हैं कहीं ,
सापों की मानिंद, बिलों में छुप गये हैं यहीं ,
ढूंढ-ढूंढ कर मारो, इन विष-भरे नागों को ,
तोड़ सके ना ये हमारे, एकता के धागों को ,
अब ना पनपने देंगे,हम गद्दारों की टोली को ,
रक्त-रंजित न होने दें हम, ईद और होली को ,
'कमलेश 'हर मन में देश -प्रेम का बीज बोना होगा ,
सब होंगे सजग फिर बेफिक्र, हो के सोना होगा ॥पर ..
बेफिक्र हो के जनाब आप अभी ना सोइये ,
अभी जो जख्म हैं ताज़े उनको तो धोइये ...,॥
2 comments:
sri VERMA JI
सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें /
मेरी १०० वीं पोस्ट पर भी पधारने का
---------------------- कष्ट करें और मेरी अब तक की काव्य-यात्रा पर अपनी बेबाक टिप्पणी दें, मैं आभारी हूँगा /
बहुत सुन्दर रचना!
बेफिक्री ठीक नहीं!
भूकम्प कभी भी आ सकता है!
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