क्या दोनों तरफ से निकल चुकी हैं, तलवारें म्यानों से ,
क्या फिर निकलेगा जन-सैलाब, अपने आशियानों से ,
फिर क्या हुंकार भरेगा 'अन्ना' का जन्तर- मन्तर,
या समय प्रदर्शित करेगा, कोई अद्भुत अंतर ,
बड़े असमंजस में है जनमानस, इस अवसर पर ,
बीच चौराहे देश खड़ा, खुद को पाता है अक्सर ,
क्या मंशा है ?किसकी सच्ची ?ये फैसला कौन करे ,
बिल जन लोकपाल का हो पास, ये हौसला कौन करे ,
'कमलेश' क्या विडम्बना है ! इस देश के लिए ,
खून बहाना पड़ता है ,इक राजसी आदेश के लिए.. जय हिंद !!
3 comments:
निकलना ही होगा जन सैलाब को फिर अपने आशियानों से....
बेहतरीन!
क्या मंशा है ?किसकी सच्ची ?ये फैसला कौन करे ,
बिल जन लोकपाल का हो पास, ये हौसला कौन करे ,
वर्तमान हालात पर सटीक है यह रचना ...आपका आभार
सार्थक प्रस्तुति ...अच्छा चिंतन है
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