गुरुवार, 23 जून 2011 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

क्या दोनों तरफ से निकल चुकी हैं,.....!!

क्या  दोनों तरफ से निकल चुकी हैं, तलवारें  म्यानों से ,
क्या फिर निकलेगा जन-सैलाब, अपने आशियानों से ,

फिर क्या हुंकार भरेगा 'अन्ना' का जन्तर- मन्तर,
या समय प्रदर्शित करेगा, कोई अद्भुत  अंतर ,

बड़े असमंजस में  है जनमानस, इस अवसर पर ,
बीच चौराहे  देश खड़ा, खुद को पाता  है अक्सर , 

क्या मंशा है ?किसकी सच्ची ?ये फैसला कौन करे ,
 बिल जन लोकपाल का  हो पास,  ये हौसला कौन करे ,

'कमलेश' क्या विडम्बना है ! इस  देश के लिए ,
खून बहाना पड़ता है ,इक राजसी आदेश के लिए..  जय हिंद !!

3 comments:

Udan Tashtari ने कहा…

निकलना ही होगा जन सैलाब को फिर अपने आशियानों से....


बेहतरीन!

केवल राम ने कहा…

क्या मंशा है ?किसकी सच्ची ?ये फैसला कौन करे ,
बिल जन लोकपाल का हो पास, ये हौसला कौन करे ,

वर्तमान हालात पर सटीक है यह रचना ...आपका आभार

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति ...अच्छा चिंतन है