अगर हम दुनिया की ......!!!
अगर हम दुनिया की रग पहचान लेते ,
बेवफा दुनिया का क्यों अहसान लेते ।
अल-मस्त रहते अपनी ही दुनिया में ,
क्यूँ जिन्दगी के बदले मौत का सामान लेते ।
उनकी तो पहले ही तय थी मंजिल ,
हम तय कर लेते तो क्यूँ नादान कहते ।
मासूम चेहरे की नफासत में उलझ कर रह गए ,
उठा के पर्दा उनके चेहरे से असलियत जान लेते ।
''कमलेश''अब पछताने से क्या क्या होगा फायदा ,
चलो उन लम्हों के सिवा ना था यही मान लेते ॥
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