इक बार क्या मिला वो...!!!
इक बार क्या मिला वो ,हर दिल अज़ीज़ हो गया ,
पल दो पल में वो मेरे दिल के, करीब हो गया ॥
अनजान थे जो अब तक, उसके असरार से ,
अंजुमन में हुई जब उसकी आमद, हबीब हो गया ॥
फिजां में ना था कही पे, उसका नामोनिशां ,
है हर शख्श की जुबां पर, यही ''मेरा नसीब हो गया ॥
जो बदनामी के डर से, राहें अपनी बदल गए ,
हैं ! वो बने हम -सफर ,कुछ किस्सा अजीब हो गया ॥
जिंदगी को करीने से, सजा रखी थी हमने ''कमलेश '',
उसने दस्तक दी जब से ,दिले -मंजर बे-तरतीब हो गया है ॥
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7 comments:
नमस्ते,
आपका बलोग पढकर अच्चा लगा । आपके चिट्ठों को इंडलि में शामिल करने से अन्य कयी चिट्ठाकारों के सम्पर्क में आने की सम्भावना ज़्यादा हैं । एक बार इंडलि देखने से आपको भी यकीन हो जायेगा ।
दिले -मंजर बे-तरतीब हो i/e
the best
सादर वन्दे !
बहुत खूब ! लेकिन आप इतनी खुबसूरत तस्वीर कहाँ से लाते है भाई जी !
रत्नेश त्रिपाठी
गजब लिखा है भाई, आज पहली बार इस ब्लाग पर आया.. मजा आ गया.. वाह
बहुत अच्छी और शानदार पोस्ट....
nice
बेहतरीन गज़ल!! बधाई...
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