शुक्रवार, 21 मई 2010 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

आएगा मज़ा ...!!!

क्यों ?निरर्थक बोझ लाद कर फिरते हो सीने में ,
फ़िक्र मुक्त करो जिन्दगी ,आएगा मज़ा जीने में

इत्र -सुगंधों से नही आती वो ...खुशबू !!
जो भीनी-भीनी आती,मेहनत के पसीने में

हमने शराब पी के मरते बहुत देखे हैं.....
गर जानी है तो जाये दूजों के गम पीने में

जिदगी तो खुद फंसी है ,किसी के जाल में ,
अपने कितने ही निशां छुपा रखे है सीने में.. ॥


3 comments:

दिलीप ने कहा…

waah sirji bahut achche...

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

खूबसूरत शब्दों से संजोयी खूबसूरत रचना.... खूबसूरती से दिल में उतर गई....

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

वाह बहुत खूब प्रेरणादायक रचना.