सोमवार, 4 जनवरी 2010 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

काश ! कोई न इस दिल से खेले..!!!

काश ! कोई इस दिल से खेले ,
जिन्दगी के बदले चाहे जान लेले

वो दर्द जो सहा नही जाता ,
जुबां से तो क्या ?इशारों से भी कहा नही जाता

तडफता है दिल जिस्म के अंदर ,
बहते हैं खुश्क आंसू ,जब दर्द सहा नही जाता

छोड़ दूं उसको ?या छोड़ दूं दुनिया ,
पर ''कमलेश ''बिना कमबख्त दर्द के रहा भी नही जाता

4 comments:

वाणी गीत ने कहा…

कमबख्त इस दर्द के रहा नहीं जाता ...
इस दर्द से ...या ...बिना इस दर्द के ...
एक शब्द गुम है ...!!

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सच कहा भाई, आपकी रचना हमें पसंद आई।
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2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन चालू है।

Crazy Codes ने कहा…

is dard ke bina jeena mushkil bhi hai...

ज्योति सिंह ने कहा…

baat kafi damdaar hai ,khas taur par aakhri pankti ,achchhi lagi