अगर आँखें दे दी तो ,अगले जन्म में होगा बापू अंधा ,
यह हैं सब बेकार की बातें ,है पाखंडियों का धंधा ।
इस जन्म में हो ? अँधा या टूटी किसी की लात ,
तो क्या पहले होती थी ? पैर -आंख दान की बात ।
तो फ़िर क्यों ? पैदा होते बच्चे ,लंगडे -लूले ,
अंध विश्वास के मकड़ जाल में ,
निज कर्तव्यों को भूले ।
करो नेत्र दान मरनोप्रान्त ,
''कमलेश ''आपकी इच्छा है ।
मर कर भी जी सकते हो ,
यही हमारी शिक्षा है ॥
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें