काश ! कोई न इस दिल से खेले ,
जिन्दगी के बदले चाहे जान लेले ।
वो दर्द जो सहा नही जाता ,
जुबां से तो क्या ?इशारों से भी कहा नही जाता ।
तडफता है दिल जिस्म के अंदर ,
बहते हैं खुश्क आंसू ,जब दर्द सहा नही जाता ।
छोड़ दूं उसको ?या छोड़ दूं दुनिया ,
पर ''कमलेश ''बिना कमबख्त दर्द के रहा भी नही जाता ॥
4 comments:
कमबख्त इस दर्द के रहा नहीं जाता ...
इस दर्द से ...या ...बिना इस दर्द के ...
एक शब्द गुम है ...!!
सच कहा भाई, आपकी रचना हमें पसंद आई।
--------
विश्व का सबसे शक्तिशली सुपर कम्प्यूटर।
2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन चालू है।
is dard ke bina jeena mushkil bhi hai...
baat kafi damdaar hai ,khas taur par aakhri pankti ,achchhi lagi
एक टिप्पणी भेजें