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रविवार, 23 अगस्त 2009 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

नेत्र - दान के प्रति अंध विश्वास !?

अगर आँखें दे दी तो ,अगले जन्म में होगा बापू अंधा ,

यह हैं सब बेकार की बातें ,है पाखंडियों का धंधा

इस जन्म में हो ? अँधा या टूटी किसी की लात ,

तो क्या पहले होती थी ? पैर -आंख दान की बात

तो फ़िर क्यों ? पैदा होते बच्चे ,लंगडे -लूले ,

अंध विश्वास के मकड़ जाल में ,

निज कर्तव्यों को भूले

करो नेत्र दान मरनोप्रान्त ,

''कमलेश ''आपकी इच्छा है

मर कर भी जी सकते हो ,

यही हमारी शिक्षा है
बुधवार, 5 अगस्त 2009 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

आँखे अनमोल ...

अगर मंजीत ने उस दिन बस में आंखों की दवाई बेचने वाले से

एक सलाई न डलवाई होती ,तो शायद आजडॉक्टर 'उसकी आँखे

न ठीक होने की बात नही करते ,होता क्या हम हिन्दुस्तानियों
को फ्री की कोई भी चीज मिलतीहो, तो हम यह मौका हाथ से
जाने नही देते ,चाहे उसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े
,आम लोगों को एक मन मेंयह बात घर कर गई है की ,जो
दवाई आंखों में जितनी ज्यादा लगती है ,उससे आंखों का गन्दा
  • पानी निकल जाताहै ,जब की यह बिल्कुल निराधार है ,इस लिए जो लोग आज कल किसी आश्रम द्वारा बनाई हुई ,दवाई डाल करमिनटों उछलते हैं ,इन चीजों से बचना चाहिए । इस लिए बस में या और कही इन चलते फिरते नीम हकीमों सेदवाई न ले ,अगर आप की नेत्रों में कोई समस्या नही है ,और आप का खान पान ठीक है तो आँखों में बिना मतलब कोई दवाई न डाले ,क्योंकि कोई भी आई ड्राप आँखों के'लिए ' टोनिक 'के तरह व्यवहार नही करता ,इस करके आपसभी अपने शरीर के इस महत्व पूर्ण एवम कोमल अंग अच्छी तरह ख्याल रखें ,अगर कोई समस्या है तो अपने नजदीक के नेत्र चिकित्सक से अवश्य परामर्श कर लें।