सबको हिन्दी से हिन्दी को सबसे है पूरी आशा ,
फूले-फले दिन-रात चौगुनी ,जन-मानस की ये भाषा ।🌹
निहित है इसमें पूरे,देश राष्ट्र -धर्म की मर्यादा ,
जितना इसका मंथन होता ,बढ़े ज्ञान अमृत ज्यादा ।🌹
बदल रहें इसके कार्य -क्षेत्र ,बदल रही है परिभाषा,
आभाषी मन मचल रहे हैं ,ले एक नयी मन में जिज्ञाषा 🌹
इसमें समाहित है महा-कुम्भ ,रस, श्रृंगारों,भावों और छंदों का ,
हर शंकाओं-आशंकाओं का समाधान,मन के अन्त्रद्व्न्धों का ।🌹
हर भाषा है महान ,साहित्यिक
गौरव की समृधि है ,
परंतु 'कमलेश' हर भाषा की सिरमौर ,
मेरी मां- बोली ''हिन्दी'' है ॥🌹🌹
🌹कमलेश वर्मा *कमलेश*🌹