मशविरा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मशविरा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मंगलवार, 13 अक्टूबर 2009 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

कौन होना चाहता है ..?!!!

कौन होना चाहता है ?

यहाँ बे-आबरू

ये वक्त ही है ,
बे-शर्म बना देता है

हसरत मुझे भी थी,

आसमान छूने की ,

वक्त ,कोशिशों की सीढ़ी को ,

बे-वक्त गिरा देता है

संभल -संभल कर बढ़ रहे थे ,

जानिबे - मंजिल ,

जो कभी खत्म हो राह ,

वक्त,पकडा वो सिरा देता है

टूटते हौंसलों को ,

कैसे सम्भाले ''कमलेश'' ,

बसे बसाये घरौंदों पर ,

वक्त बिजली गिरा देता है ,

हिम्मत से तोड़ दोगे

वक्त के हौसले ,

वक्त ही देखो ?

जिन्दगी को मशविरा देता है ,