उस दौर में इस दौर में
जमीं आसमां का फर्क है।
मुद्दों को इस तरह सियासत
में उलझाया नही करते।
तरानों/ग़ज़लों से दिल को
बहलाते हैं लोग,
तरानों से इंक़लाब अब
आया नहीं करते।
जब था तब था उस बात का
असर जमाने में,
इतिहास को बेवजह दीवार पर
चिपकाया नही करते।
जिनको ज़िद्द है ना समझने की
गोया,
उनको कुछ भी समझाया नही करते।
माशूम हैं इनको सियासत की खातिर
सारे जमाने का गुनहगार
बनाया नही करते।
खुद खोल कर अपनी
आंखों से समझो।
बन्द आंखों से हाथी का
भूगोल बताया नहीं करते।
तुम समझाओ खुलकर जरा,
वो भी समझें ।
किसी के जज्बातों को यूं ही
भड़काया नहीं करते।
कमलेश,'अपने ही आबाद
गुलशन को बर्बाद कर दोगे तुम
नफरत की आग से
चमन जलाया नही करते।।।
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