क्यूँ ? मुझपे उसको यकीं आता नही ।
यूँ ही बेवज़ह कोई ,अश्क़ बहाता नहीं।।🌹
शब सारी गुजरी है ,इन गीली आँखों में।
क्या ? मेरा ख्वाब भी ,उसको सताता नहीं।।🌹
रूह जलती है उसकी, यादे तपिस में।
जिस्म जलता तो ,इतना रुलाता नहीं।।🌹
कमलेश'पहरे बिठा दूं ,यादों के महल में।
अब इधर कोई , आता जाता नहीं🌹
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