शुक्रवार, 20 सितंबर 2019 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

कभी जो जान ..‼

कभी जो जान देते थे
मेरे एक इशारे पर।
अब वो रूठ कर बैठे
हैं किनारे पर।🌹

मगर मुझको पता है
ये एक अदा है उनकी
तरस आ ही जायेगा
मेरे जैसे बेचारे पर।🌹

कभी गमगीन होकर
यूँ ही पलकें भिगो बैठे
हो गयी बरसात अश्कों की
उनके भी चौबारे पर।🌹

लगता है सबको वो हमसे
रूठ बैठे हैं
मना लेने का ये जिम्मा
अब आयद है हमारे पर।🌹

कमलेश ' इस मासूम रिश्ते में
इक प्यारी सी हक़ीकत है,
कुछ भी हो जाय फिर भी
इल्ज़ाम न आये तुम्हारे पर। 🌹

🌹कमलेश वर्मा 🌹