कैसे कहूँ ! वो तुम्हारी बातें , जो एक राज हैं ,
कल भी वो ही बातें थी , जो बात आज है।
उलझी लटों की उलझनों को, सुलझाता रह गया ,
सुनहरा था जो वक्त वह उलझनों में में बह गया।
तेरी आरज़ू ने हमें तडफाया है, दिन रात मगर ,
तड़फ भी गंवारा थी मुझे , तुम मिल जाती अगर।
हाय !मेरी बद्किश्मती , मिली तन्हाई रूश्वाई।
यह भी सह जाता दिल खुद , गर होती न जुदाई.
फिर भी दफन हैं तेरे राज , इस दिल के साथ में ,
अब दे जिंदगी या मौत 'कमलेश' ,है ये तेरे हाथ में।।
कल भी वो ही बातें थी , जो बात आज है।
उलझी लटों की उलझनों को, सुलझाता रह गया ,
सुनहरा था जो वक्त वह उलझनों में में बह गया।
तेरी आरज़ू ने हमें तडफाया है, दिन रात मगर ,
तड़फ भी गंवारा थी मुझे , तुम मिल जाती अगर।
हाय !मेरी बद्किश्मती , मिली तन्हाई रूश्वाई।
यह भी सह जाता दिल खुद , गर होती न जुदाई.
फिर भी दफन हैं तेरे राज , इस दिल के साथ में ,
अब दे जिंदगी या मौत 'कमलेश' ,है ये तेरे हाथ में।।
1 comments:
Sunder Panktiyan.....
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