छुपा के रखती हैं राज कभी खोलती नही।
जिसने कुछ भी छुपाने का कोई बहाना गढ़ लिया ,
जब मिली आँख से आँख सारा मज़मून पढ़ लिया।
जो इनमे बस जाये वह कभी निकलता नही ,
कितनी हो नफरत की आग पर पिघलता नही।
आँखों की फितरत बस आँखें ही जानती हैं ,
जिसको बसा लें अपने में ''खुदा '' ही मानती हैं।
जो इनको नही पसंद ,उसकी नजरों में चढती नहीं ,
चाहे खुली हो प्यार की किताबें कभी पढ़ती नहीं ।
कहतें हैं ''कमलेश'' कभी सच्चे प्यार में डोलती नही
किससे हुआ है प्यार वो राज किसी पर खोलती नहीं !!!
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें