इस धरा पर सामंती शक्तियों का, क्ष्त्राधिपति हटना चाहिए ,
जो जिसका है हक जहाँ पर , वो उसी को मिलना चाहिए।
लौह -परमाणु आयुधों का बोझ , धरती से क्यूँ घटता नही ,
इनकी लोलुपता की सीमाओ का, दायरा घटना चाहिए।
हर तरफ है हिंसा का आलम , चाहे सीरिया हो या यमन ,
धर्म -नस्लों की वजह से , कोई देश नही बंटना चाहिए।
ये देश अंदर से हैं खोखले ,जो कभी मजबूत दीखते थे ,
कर्ज़ लेकर रोब का पर्दा , दुनिया की आँखों से हटना चाहिए।
नकली चेहरों की इनकी मुस्कराहटों ,पर मत जाइये ,
कितने विष-दंत हैं इनके मुख में, उनको गिनना चाहिए।
कोई भी विष -बेल बो लें, ये पड़ोसी दुनिया वाले ,
अपना प्यारा 'तिरंगा' सबसे ,उपर लहराना चाहिए।
हवस ''कमलेश'' इनकी बढ़ेगी , और दिन-रात सर चढके ,
कमर इनकी तोड़ने को हरदम , ''भारत '' तैयार रहना चाहिए।।
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