मन में उठे तूफानों को ....!!!
मन में उठे तूफानों को कैसे, समझाया जाए ,
लगता है इसे माया जाल में, उलझाया जाए ,
इसके अपने उसूलों को, कौन समझ पाया है ,
दस्तूरे-दुनिया क्या है ,इसे आज बताया जाए, ,
क्यों समन्दर की मानिंद ,बना रखा है खुदको ,
जो ख्वाहिशें हुई नही पूरी, उनको दबाया जाए ,
हर दीवार तोड़ने की रखता है दिल में ख्वाहिश ,
अपनी हदें क्या हैं इसकी ? ,इसको बताया जाए,
अच्छा है ! कोई भी तूफ़ान मचल जाए कहीं भी ,
'मगर'' कमलेश' तूफानों में मचलने का सबब पाया जाए ॥
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3 comments:
गमे गुब्रार को पिघल जाने दीजिये ये आंचल फिर हवा मे फिसल जाने दीजिए
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
हर दीवार तोड़ने की रखता है दिल में ख्वाहिश ,
अपनी हदें क्या हैं इसकी ? ,इसको बताया जाए,
बेहतरीन ।
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