शनिवार, 10 सितंबर 2011 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

अँधेरे में तीर चल रहे हैं ...!!!ब्लास्ट की जाँच जारी है ...

अंधेरों में तीर चल रहे हैं ,
बम धमाको में बेगुनाह मर रहे हैं ,

क्यों चिल-पों मचा रही जनता ,
हम जाँच तो कर रहे हैं ,

पूरी जिन्दगी शायद वो ना कमा पाते इतनी रकम ,
इक मुश्त हम ''चार -छे ''लाख दे रहे हैं

विरोधी हैं देश के जो हम पर शक करते हैं ,
आपकी सुरक्षा दिन-रात हम कर रहे हैं

आप को ही नही सबको मरने से लगता है डर ,
इसका अभिप्राय कदाचित नही की हम डर रहे हैं
''कमलेश''

3 comments:

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

बड़ा ही सटीक तीर चलाया है,बढ़िया रचना.

Patali-The-Village ने कहा…

सुन्दर और सार्थक व्यंग| धन्यवाद|

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

bilkul sahi nishana ......... 4, 6 lakh to de rahe hain ...achha vyngya