- चंद लम्हों की मुलाकात बनी सबब जिन्दगी की ,
- ता उम्र साथ मिलता तो क्या बात थी ।!
- संवर जाती सूरत मेरे आने वाले कल की ,
- हमेशा आफ़ताबे -नूर होता तो क्या बात थी ।!
- यूँ न छोडो भंवर में किश्ती मेरी जिन्दगी की ,
- तुम किश्ती की पतवार बनती तो क्या बात थी ।!
- गर डूबे जिन्दगी की मझधार में होगी रुसवाई ,
- गर चलते साथ -साथ उस पार तो क्या बात थी ।!
- ''कमलेश'' मुझ पर अहसान होगा इस जिन्दगी का ,
- इक जिन्द -इक जान बन के जीते तो क्या बात थी ।!!
चंद लम्हे ..उस मुलाकत के ...!!!
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10 comments:
सुन्दर पंक्तियाँ अच्छी लगी ।
गर डूबे जिन्दगी की मझधार में होगी रुसवाई ,
गर चलते साथ -साथ उस पार तो क्या बात थी
-हाय!! काश! बहुत बेहतरीन वर्मा जी..आजकल क्या बात है?? सब ठीक ठाक तो है न भई.. :)
सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
बहुत सुन्दर रचना । आभार
ढेर सारी शुभकामनायें.
BAHUT KUHUB
SHEKHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
# यूँ न छोडो भंवर में किश्ती मेरी जिन्दगी की ,
# तुम किश्ती की पतवार बनती तो क्या बात थी ।!
बहुत सुन्दर भाव हैं !
संवर जाती सूरत मेरे आने वाले कल की ,
हमेशा आफ़ताबे -नूर होता तो क्या बात थी
खूबसूरत ग़ज़ल....बधाई
गजल खूबसूरत है!
ईश्वर करे आपकी मुराद जल्द पूरी हो!
यूँ न छोडो भंवर में किश्ती मेरी जिन्दगी की ,
तुम किश्ती की पतवार बनती तो क्या बात थी ।!
सुन्दर और फिर चित्र तो क्या कहने
यूँ न छोडो भंवर में किश्ती मेरी जिन्दगी की ,
तुम किश्ती की पतवार बनती तो क्या बात थी ..
Vaah .. kamaaal ka sher aur bahut hi sundar chitr laga hai ... lajawaab ...
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