ये उन् दिनों की बात है जब की तुम हमारे साथ थे !!!
जिंदगी जागी – जागी सी थी ,
सारे मौसम बड़े मेहरबा दोस्त थे ,
रास्ते दावतनामे थे ,
जो मंजिलो ने लिखे थे ,
ज़मी पर हमारे लिए ,
पेड़ बांहे पसारे खड़े थे ,
हमें छांव की शाल पहनाने के वास्ते ,
शाम को सब सितारे बहुत मुस्कुराते थे ,
जब देखते थे हमे ,
आती – जाती हवाएं कोई गीत खुशबू का गाती हुई i,
छेड़ती थी गुज़र जाती थी ,
आशमा पिघले नीलाम का एक गहरा तालाब था ,
जिसमे हर रात एक चाँद का फूल खिलता था ,
और पिघले नीलाम की लहरों में हमारे हुआ ,
वो हमारे के किनारों को छु लेता था ,
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