कौन सी वो बात थी?जो बताई ना गयी ,
कोशिशें लाख हुईपर छिपाई न गयी ।
गर रख पाते !!पर्देदारी अपनी मुहब्बत की ,
ये रस्म भी उनसे जरा भी निभाई न गयी ।
रस्में -महब्बत हौसले ,का काम है ,
दीवारे-दुनिया हमसे, गिराई न गयी ,
दुनिया ख़ुद- ब -ख़ुद मान लेती ,मेरी चाहत को ,
पर''कमलेश'' कुरबाने -मुहब्बत ,दिखायी न गयी ॥