शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

धारा 370 की धार का ये दंश है।
कुलद्रोहियों के द्रोह का विध्वंश है।

पूर्व त्रुटियों का अशेष अपभ्रंश है।
चल रहा सदियों से यहाँ अंतर्द्वंध है।

मीर ज़ाफ़र कोई यहाँ जयचन्द है।
हर रोज़ नया उदित् छल छन्द है।

कुटिल राजनीति का ये पैबन्द् है।
कश्मीर बू नही हिंद में दुर्गन्ध है।

तोड़ दो 'कमलेश' जो अनुब्न्ध है।
आहूतों से सारे देश का सम्बन्ध है।।

नमन पुलवामा के शहीदों को 💐💐