मंगलवार, 18 सितंबर 2018 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

हुआ है क्या लोगों..💐💐

हुआ है क्या लोगों ,आज़ के ज़माने को,
ढूंढता है क्यूँ ,हर गली जाती है मयख़ाने को।💐

छोड़ दी पीनी हमने ,उसके इसरार पर
पाबन्दी लगा दी है मगर, उसने हमें बताने की।💐

नींद भरी आंखों में ,ना देखो लाल डोरों को,
परछाईं है उसकी मय भरी 'आंखों के पैमानों की।💐

लड़खड़ाता हूँ मैं ये सबको ,बहुत अजीब लगता है,
पर क्या करूं ये अदा है मेरी ,मंज़िल तक पहुंच जाने की।💐

आसान नहीं है  इश्के-इबादत ,इस स्याह दुनिया में,
आग के दरिया में है राहे-डगर ,मुहब्बत के आस्ताने की।💐

हम पर जुल्मों ,ज़बर, पाबंदियों का ,दौर भी गुज़रा है,
छोड़ी ना कसर दुनिया ने, प्यार की हद को आजमाने की।💐

सदियों से एक रिवायत बना रखी है , इश्क़ के परवानों ने,
'कमलेश' निभाते हैं कसम अब तक शमां पर मिट जाने की।।💐💐

@कमलेश वर्मा 'कमलेश'

पटियाला💐💐