गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

प्यार के इज़हार के लिए १ ४ फरवरी ही क्यों .....????

इज़हारे इश्क़ का वक्त कोई मुक़र्रर नही होता ,
इज़हार हो जाता है जिसका सपने में भी  तसव्वुर  नही होता। 

जिससे नज़र मिलते ही बढ़ जाएँ धडकनें दिल की ,
वजह  खास न हो  तो दिल परेशां इस कदर नही होता। 

गर जेहन में बस गयी  तस्वीर  जिसकी इक बार ,
उस दिल पर किसी  'दिन' वक्त' का असर नही होता।

मंजिले-मकसूद पा  लिया जिस  की मोहब्बत ने ,
ज़रुरत महसूस वहां करने को कोई सफ़र  नही होता।

जब भी आ जाये जलाले-इश्क किसी पर कभी ,
सरे आम  कर देते हैं इज़हार उनसे सबर नही होता। 

''कमलेश''क्यों करें इंतजार किसी खास लम्हे का ,
दिल तो आज़ाद परिंदा है जिसका कोई रहबर नही होता।।

5 comments:

रविकर ने कहा…

चौदह "चौ-पाया" चपल, चौकठ चौकड़ छोड़ ।
दहकत दैया देह दुइ, दहड़ दहड़ दह जोड़ |

दहड़ दहड़ दह जोड़, फरकती फर फर फर फर |
*वरदा वर वरणीय, वरी क्या करता रविकर |

वेलेंटाइन गुरू, आप की बड़ी अनुग्रह |
इसीलिए फरवरी, चुनी शुभ चौदस चौदह ||
*कन्या

लोकेश सिंह ने कहा…

जबरजस्त ,भावानाओं को स्वर देती सार्थक रचना ,शुभकामनाये

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

सही कहा प्यार का इज़हार के लिए सिर्फ एक ही दिन क्यों ??

Unknown ने कहा…

सार्थक रचना

Madan Mohan Saxena ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत बधाई आपको .