रविवार, 31 जुलाई 2011 | By: कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹

विश्वास की इन टूटती डालियों को.....!!

विश्वास की इन टूटती डालियों को ,
कोई तो उठ के सहारा दे दो ,

छोडो ना इनको भाग्य के भरोसे ,
बस साथ होने का इशारा दे दो ,

पहुँच कर रहेंगे ये अपनी मंजिल तलक ,
पूरी राह नही
,बस चलने को किनारा दे दो ,

ये भर कर रहेंगे दिलों में उजालों की बिजलियाँ ,
बस इनको विश्वास का इक शरारा दे दो ,

जुल्म की सत्ता हटाने की हमको नही जरूरत ,
बस शान से जीने का हक हमारा दे दो ,

तन मन धन से हम हैं इनके साथ सब ,
बस 'कमलेश , इस अहसास का हुलारा दे दो

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आपने!
--
आज पूरे 36 घंटे बाद ब्लॉग पर आया हूँ!
धीरे-धीरे सब जगह पहुँच जाऊँगा!

kavita verma ने कहा…

sunder gazal...