रंग बदलना सीख ले ..!!
रंग बदलना सीख ले जमाने की तरह ,
ना सच को दिखा आईने की तरह ।
ना पकड इक साख को उल्लू की मानिंद ,
वक़्त-ए-हिसाब बैठ डालों पर परिंदों की तरह ।
ना उलझा खुद को रिश्तों की जंजीरों में ,
कर ले मद-होश अपने को रिन्दों की तरह ।
ना कर हलकान खुद को ,हर तरफ है मायूसी ,
हो जा बे-दिल बे-मुरव्वत परिंदों की तरह ।
गर मिलती है इज्ज़त यहाँ ,मरने के बाद ,
फिर 'कमलेश'क्यों जीना जिन्दों की तरह ॥
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3 comments:
khoobsurat aur bhawpurna rachna.
sundar abhivyakti!
rang badalna seekhne ki baat karti hui rachna mein kai yatharth mukhrit hue hain!
regards,
रंग बदलना सीख ले जमाने की तरह ,
ना सच को दिखा आईने की तरह ।
वाह बहुत खूब ।
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